जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव -रैदास: Difference between revisions
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मन क्रम बचन जंमनिका, ग्यान बैराग दिढ़ भगति नाहीं। | मन क्रम बचन जंमनिका, ग्यान बैराग दिढ़ भगति नाहीं। | ||
मलिन मति रैदास, निखल सेवा अभ्यास। | मलिन मति रैदास, निखल सेवा अभ्यास। | ||
प्रेम बिन प्रीति सकल संसै न | प्रेम बिन प्रीति सकल संसै न जांहीं।।4।। | ||
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Latest revision as of 10:44, 1 November 2014
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जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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