पांडे कैसी पूज रची रे -रैदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "१" to "1") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
||
(2 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 37: | Line 37: | ||
पंच तत जिनि कीया पसारा, सो यौ ही किधौं और रे।।1।। | पंच तत जिनि कीया पसारा, सो यौ ही किधौं और रे।।1।। | ||
तू ज कहत है यौ ही करता, या कौं मनिख करै रे। | तू ज कहत है यौ ही करता, या कौं मनिख करै रे। | ||
तारण सकति सहीजे यामैं, तौ आपण क्यूँ न तिरै | तारण सकति सहीजे यामैं, तौ आपण क्यूँ न तिरै रे।।2।। | ||
अहीं भरोसै सब जग बूझा, सुंणि पंडित की बात रे।। | अहीं भरोसै सब जग बूझा, सुंणि पंडित की बात रे।। | ||
याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात | याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात रे।।3।। | ||
याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | ||
सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास | सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास रे।।4।। | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
Latest revision as of 10:45, 1 November 2014
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
पांडे कैसी पूज रची रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |