मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "७" to "7") |
||
(2 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 43: | Line 43: | ||
सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति ब्यौहार।।4।। | सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति ब्यौहार।।4।। | ||
रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | ||
कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां मिलै।।5।। | ||
ना मिलै कुल करनी आचार। | ना मिलै कुल करनी आचार। | ||
एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब संसार।।6।। | ||
अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | ||
प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास उदास।।7।। | ||
</poem> | </poem> |
Latest revision as of 11:32, 1 November 2014
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
मरम कैसैं पाइबौ रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |