हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - "विलंब" to "विलम्ब")
 
Line 39: Line 39:


जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
गोदावरी विलंब न लाबै॥
गोदावरी विलम्ब न लाबै॥


सर्व तीर्थ को बासा तहां।
सर्व तीर्थ को बासा तहां।

Latest revision as of 09:04, 10 February 2021

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
हरि हरि हरि सुमिरन करौ -सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

हरि हरि हरि सुमिरन करौ।
हरि चरनारबिंद उर धरौं॥

हरि की कथा होइ जब जहां।
गंगाहू चलि आवै तहां॥

जमुना सिन्धु सरस्वति आवै।
गोदावरी विलम्ब न लाबै॥

सर्व तीर्थ को बासा तहां।
सूर, हरि-कथा होवे जहां॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ


संबंधित लेख