तेरा जन काहे कौं बोलै -रैदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
||
(3 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 38: | Line 38: | ||
बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई। | बोल बोलतां बढ़ै बियाधि, बोल अबोलैं जाई। | ||
बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ | बोलै बोल अबोल कौं पकरैं, बोल बोलै कूँ खाई।।1।। | ||
बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई। | बोलै बोल मांनि परि बोलैं, बोलै बेद बड़ाई। | ||
उर में धरि धरि जब ही बोलै, तब हीं मूल | उर में धरि धरि जब ही बोलै, तब हीं मूल गँवाई।।2।। | ||
बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई। | बोलि बोलि औरहि समझावै, तब लग समझि नहीं रे भाई। | ||
बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब | बोलि बोलि समझि जब बूझी, तब काल सहित सब खाई।।3।। | ||
बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई। | बोलै गुर अरु बोलै चेला, बोल्या बोल की परमिति जाई। | ||
कहै रैदास थकित भयौ जब, तब हीं परंमनिधि | कहै रैदास थकित भयौ जब, तब हीं परंमनिधि पाई।।4।। | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
Latest revision as of 10:44, 1 November 2014
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
तेरा जन काहे कौं बोलै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |