नंदराम: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "श्रृंगार" to "शृंगार") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "शृंगार" to "श्रृंगार") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
नंदराम (जन्म संवत- [[1894]] लगभग, मृत्यु संवत- [[1944]], लगभग) सालेहनगर ग्राम ([[लखनऊ]]) के निवासी व कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] थे। नंदराम के जीवनकाल के विषय में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। इन्हें 'शिवसिंहसरोज' में उल्लिखित नंदराम से भिन्न माना जाता है। | नंदराम (जन्म संवत- [[1894]] लगभग, मृत्यु संवत- [[1944]], लगभग) सालेहनगर ग्राम ([[लखनऊ]]) के निवासी व कान्यकुब्ज [[ब्राह्मण]] थे। नंदराम के जीवनकाल के विषय में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। इन्हें 'शिवसिंहसरोज' में उल्लिखित नंदराम से भिन्न माना जाता है। | ||
====रसग्रंथ==== | ====रसग्रंथ==== | ||
इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ ' | इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ 'श्रृंगारदर्पण' है जो पद्माकरकृत 'जगद्विनोद' की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें [[दोहा]], [[सवैया]], [[घनाक्षरी]] और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है। | ||
====भाषा==== | ====भाषा==== | ||
नंदराम की भाव और [[भाषा]] दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जाने वाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है। | नंदराम की भाव और [[भाषा]] दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जाने वाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | last = | first = | title =हिन्दी विश्वकोश | edition =[[1966]] | publisher =नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =216| chapter =खण्ड 6 }} | {{cite book | last = | first = | title =हिन्दी विश्वकोश | edition =[[1966]] | publisher =नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी | location =भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language =हिन्दी | pages =216| chapter =खण्ड 6 }} | ||
Line 13: | Line 12: | ||
{{भारत के कवि}} | {{भारत के कवि}} | ||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
[[Category:कवि]] | [[Category:कवि]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:चरित कोश]] | ||
[[Category:साहित्य कोश]] | |||
[[Category:चरित कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ | __NOTOC__ |
Latest revision as of 07:54, 7 November 2017
नंदराम (जन्म संवत- 1894 लगभग, मृत्यु संवत- 1944, लगभग) सालेहनगर ग्राम (लखनऊ) के निवासी व कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। नंदराम के जीवनकाल के विषय में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। इन्हें 'शिवसिंहसरोज' में उल्लिखित नंदराम से भिन्न माना जाता है।
रसग्रंथ
इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ 'श्रृंगारदर्पण' है जो पद्माकरकृत 'जगद्विनोद' की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें दोहा, सवैया, घनाक्षरी और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है।
भाषा
नंदराम की भाव और भाषा दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जाने वाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 6”, हिन्दी विश्वकोश, 1966 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 216।
संबंधित लेख
बाहरी कड़ियाँ