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====रसग्रंथ====
====रसग्रंथ====
इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ 'शृंगारदर्पण' है जो पद्माकरकृत 'जगद्विनोद' की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें दोहा, सवैया, घनाक्षरी और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है।
इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ 'श्रृंगारदर्पण' है जो पद्माकरकृत 'जगद्विनोद' की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें [[दोहा]], [[सवैया]], [[घनाक्षरी]] और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है।
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नंदराम की भाव और [[भाषा]] दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जाने वाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है।
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Latest revision as of 07:54, 7 November 2017

नंदराम (जन्म संवत- 1894 लगभग, मृत्यु संवत- 1944, लगभग) सालेहनगर ग्राम (लखनऊ) के निवासी व कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। नंदराम के जीवनकाल के विषय में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता। इन्हें 'शिवसिंहसरोज' में उल्लिखित नंदराम से भिन्न माना जाता है।

रसग्रंथ

इनका सर्वप्रसिद्ध रसग्रंथ 'श्रृंगारदर्पण' है जो पद्माकरकृत 'जगद्विनोद' की पद्धति पर लिखा गया है। यह ग्रंथ भारतजीवन यंत्रालय से प्रकाशित हुआ था। इसमें दोहा, सवैया, घनाक्षरी और कभी-कभी छप्पय आदि छंदों का प्रयोग किया गया है।

भाषा

नंदराम की भाव और भाषा दोनों की सहज, स्वाभाविक और सुकुमार अभिव्यक्ति ही कवि के काव्य की बड़ी विशेषता है, यद्यपि रीतिकाव्य में पाई जाने वाली अलंकारिकता, चमत्कार और कलात्मक आग्रह के प्रति मोह भी उसमें कम नहीं है। कवि ने प्राय: मधुर और निर्दोष भाषा का प्रयोग किया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 6”, हिन्दी विश्वकोश, 1966 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 216।

संबंधित लेख

बाहरी कड़ियाँ