जसवंत सिंह द्वितीय: Difference between revisions

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Revision as of 09:47, 14 October 2011

  • जसवंत सिंह द्वितीय बघेल क्षत्रिय और तेरवाँ, कन्नौज के पास, के राजा थे और बहुत अधिक विद्याप्रेमी थे।
  • इनके पुस्तकालय में संस्कृत और भाषा के बहुत से ग्रंथ थे।
  • इनका कविता काल संवत 1856 अनुमान किया गया है।
  • इन्होंने दो ग्रंथ लिखे एक 'शालिहोत्रा' और दूसरा 'श्रृंगारशिरोमणि'।
  • इनका दूसरा ग्रंथ श्रृंगाररस का एक बड़ा ग्रंथ है। कविता साधारण है।

घनन के घोर, सोर चारों ओर मोरन के,
अति चितचोर तैसे अंकुर मुनै रहैं।
कोकिलन कूक हूक होति बिरहीन हिय,
लूक से लगत चीर चारन चुनै रहैं
झिल्ली झनकार तैसो पिकन पुकार डारी,
मारि डारी डारी दु्रम अंकुर सु नै रहैं।
लुनै रहैं प्रान प्रानप्यारे जसवंत बिनु,
कारे पीरे लाल ऊदे बादर उनै रहैं


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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