Difference between revisions of "छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो"
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अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई, | अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई, | ||
− | जब छवि देखी | + | जब छवि देखी पी की तो अपनी भूल गई। |
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के | छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के | ||
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के। | बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के। |
Revision as of 12:20, 4 September 2011
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apani chhavi banaee ke jo maian pi ke pas gee, |
sanbandhit lekh