तुझहि चरन अरबिंद -रैदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "१" to "1")
m (Text replace - "२" to "2")
Line 35: Line 35:
पान करत पाइओ, पाइओ रामईआ धनु।। टेक।।
पान करत पाइओ, पाइओ रामईआ धनु।। टेक।।
कहा भइओ जउ तनु भइओ छिनु छिनु। प्रेम जाइ तउ डरपै तेरो जनु।।1।।
कहा भइओ जउ तनु भइओ छिनु छिनु। प्रेम जाइ तउ डरपै तेरो जनु।।1।।
संपति बिपति पटल माइआ धनु। ता महि भगत होत न तेरो जनु।।२।।
संपति बिपति पटल माइआ धनु। ता महि भगत होत न तेरो जनु।।2।।
प्रेम की जेवरी बाधिओ तेरो जन। कहि रविदास छूटिबो कवन गुनै।।३।।  
प्रेम की जेवरी बाधिओ तेरो जन। कहि रविदास छूटिबो कवन गुनै।।३।।  
</poem>
</poem>

Revision as of 10:03, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
तुझहि चरन अरबिंद -रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

तुझहि चरन अरबिंद भँवर मनु।
पान करत पाइओ, पाइओ रामईआ धनु।। टेक।।
कहा भइओ जउ तनु भइओ छिनु छिनु। प्रेम जाइ तउ डरपै तेरो जनु।।1।।
संपति बिपति पटल माइआ धनु। ता महि भगत होत न तेरो जनु।।2।।
प्रेम की जेवरी बाधिओ तेरो जन। कहि रविदास छूटिबो कवन गुनै।।३।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख