दरसन दीजै राम दरसन दीजै -रैदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "१" to "1")
m (Text replace - "२" to "2")
Line 35: Line 35:
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।1।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।1।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।२।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।2।।
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।३।।  
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।३।।  
</poem>
</poem>

Revision as of 10:03, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
दरसन दीजै राम दरसन दीजै -रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

दरसन दीजै राम दरसन दीजै।
दरसन दीजै हो बिलंब न कीजै।। टेक।।
दरसन तोरा जीवनि मोरा, बिन दरसन का जीवै हो चकोरा।।1।।
माधौ सतगुर सब जग चेला, इब कै बिछुरै मिलन दुहेला।।2।।
तन धन जोबन झूठी आसा, सति सति भाखै जन रैदासा।।३।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख