संतौ अनिन भगति -रैदास: Difference between revisions
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कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।1।। | कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।1।। | ||
सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | ||
जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि | जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि मेलै।।2।। | ||
हरिजन हरि बिन और न जांनैं, तजै आंन तन त्यागी। | हरिजन हरि बिन और न जांनैं, तजै आंन तन त्यागी। | ||
कहै रैदास सोई जन न्रिमल, निसदिन जो अनुरागी।।३।। | कहै रैदास सोई जन न्रिमल, निसदिन जो अनुरागी।।३।। |
Revision as of 10:03, 1 November 2014
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संतौ अनिन भगति यहु नांहीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |