पांडे कैसी पूज रची रे -रैदास: Difference between revisions
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याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात रे।।3।। | याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात रे।।3।। | ||
याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | ||
सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास | सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास रे।।4।। | ||
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Latest revision as of 10:45, 1 November 2014
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पांडे कैसी पूज रची रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |