Difference between revisions of "मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास"
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गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।3।। | गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।3।। | ||
जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ दुख की रासी, जौ न पतियाइ साध है साखी। | जहाँ जहाँ जांऊँ तहाँ दुख की रासी, जौ न पतियाइ साध है साखी। | ||
− | जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं | + | जमदूतनि बहु बिधि करि मार्यौ, तऊ निलज अजहूँ नहीं हार्यौ।।4।। |
हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। | हरि पद बिमुख आस नहीं छूटै, ताथैं त्रिसनां दिन दिन लूटै। | ||
बहु बिधि करम लीयैं भटकावै, तुमहि दोस हरि कौं न लगावै।।५।। | बहु बिधि करम लीयैं भटकावै, तुमहि दोस हरि कौं न लगावै।।५।। |
Revision as of 10:45, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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maian ka jaannooan dev maian ka jaannoo. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |