चित्रशिखण्डी: Difference between revisions

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कहते हैं। ये सातों ऋषि प्रकृति के सात रूप हैं अर्थात् प्रजा के स्रष्टा हैं।<ref>{{cite web |url=http://hi.krishnakosh.org/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF_335_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_13-31|title=महाभारत शान्ति पर्व|accessmonthday=20 फरवरी|accessyear=2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कृष्णकोश |language=हिन्दी}}</ref>
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Revision as of 07:02, 26 February 2016

चित्रशिखण्डी हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत के अनुसार मरीचि, अत्रि, अंगिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु, वसिष्ठ, इन सात ऋषियों के समुदाय को कहते हैं। ये सातों ऋषि प्रकृति के सात रूप हैं अर्थात प्रजा के स्रष्टा हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 47 |


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