सूफ़ी दोहे -अमीर ख़ुसरो: Difference between revisions
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कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।। | कज़ बराए मुर्दा मा सोज़द जान-ए-खेस रा।। | ||
उज्ज्वल बरन अधीन तन एक चित्त दो ध्यान। | |||
देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।। | देखत में तो साधु है पर निपट पाप की खान।। | ||
Revision as of 12:33, 20 September 2011
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रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ। |
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