सूफ़ी दोहे -अमीर ख़ुसरो: Difference between revisions
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खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय। | खुसरो पाती प्रेम की बिरला बाँचे कोय। | ||
वेद, | वेद, क़ुरान, पोथी पढ़े, प्रेम बिना का होय।। | ||
संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत। | संतों की निंदा करे, रखे पर नारी से हेत। |
Revision as of 09:52, 8 December 2011
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रैनी चढ़ी रसूल की सो रंग मौला के हाथ। |
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