जोग ठगौरी ब्रज न बिकहै -सूरदास: Difference between revisions
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यह जापै<ref>जिसके लिए</ref> लै आये हौ मधुकर, ताके उर न समैहै।<ref>हृदय में न आएगा</ref> | यह जापै<ref>जिसके लिए</ref> लै आये हौ मधुकर, ताके उर न समैहै।<ref>हृदय में न आएगा</ref> | ||
दाख छांडि कैं कटुक निबौरी<ref>नींम का फल</ref> को अपने मुख खैहै॥ | दाख छांडि कैं कटुक निबौरी<ref>नींम का फल</ref> को अपने मुख खैहै॥ | ||
मूरी<ref>मूली</ref> के पातन के केना<ref>अनाज के रूप में साग-भाजी की कीमत, जिसे देहात में कहीं-कहीं देकर मामूली तरकारियां | मूरी<ref>मूली</ref> के पातन के केना<ref>अनाज के रूप में साग-भाजी की कीमत, जिसे देहात में कहीं-कहीं देकर मामूली तरकारियां ख़रीदते थे</ref> को मुकताहल<ref>मोती</ref> दैहै। | ||
सूरदास, प्रभु गुनहिं छांड़िकै को निरगुन<ref>सत्य, रज और तमोगुण से रहित निराकार ब्रह्म</ref> निरबैहै॥ | सूरदास, प्रभु गुनहिं छांड़िकै को निरगुन<ref>सत्य, रज और तमोगुण से रहित निराकार ब्रह्म</ref> निरबैहै॥ | ||
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Latest revision as of 14:28, 21 February 2013
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टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |