जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replace - "१" to "1")
Line 35: Line 35:
बरन अबरन रंकु नहीं ईसरू बिमल बासु जानी ऐ जगि सोइ।। टेक।।
बरन अबरन रंकु नहीं ईसरू बिमल बासु जानी ऐ जगि सोइ।। टेक।।
ब्रहमन बैस सूद अरु ख्यत्री डोम चंडार मलेछ मन सोइ।
ब्रहमन बैस सूद अरु ख्यत्री डोम चंडार मलेछ मन सोइ।
होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।१।।
होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।1।।
धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ।
धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ।
जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।२।।
जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।२।।

Revision as of 09:48, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
जिह कुल साधु बैसनो होइ -रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

जिह कुल साधु बैसनो होइ।
बरन अबरन रंकु नहीं ईसरू बिमल बासु जानी ऐ जगि सोइ।। टेक।।
ब्रहमन बैस सूद अरु ख्यत्री डोम चंडार मलेछ मन सोइ।
होइ पुनीत भगवंत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।।1।।
धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ।
जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होइ रस मगन डारे बिखु खोइ।।२।।
पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ।
जैसे पुरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमें जगि ओइ।।३।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख