संतौ अनिन भगति -रैदास: Difference between revisions
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जब लग सत रज तम पांचूँ गुण ब्यापत हैं या मांही।। टेक।। | जब लग सत रज तम पांचूँ गुण ब्यापत हैं या मांही।। टेक।। | ||
सोइ आंन अंतर करै हरि सूँ, अपमारग कूँ आंनैं। | सोइ आंन अंतर करै हरि सूँ, अपमारग कूँ आंनैं। | ||
कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा | कांम क्रोध मद लोभ मोह की, पल पल पूजा ठांनैं।।1।। | ||
सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | सति सनेह इष्ट अंगि लावै, अस्थलि अस्थलि खेलै। | ||
जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि मेलै।।२।। | जो कुछ मिलै आंनि अखित ज्यूं, सुत दारा सिरि मेलै।।२।। |
Revision as of 09:49, 1 November 2014
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संतौ अनिन भगति यहु नांहीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |