पांडे कैसी पूज रची रे -रैदास: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "२" to "2") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "३" to "3") |
||
Line 39: | Line 39: | ||
तारण सकति सहीजे यामैं, तौ आपण क्यूँ न तिरै रे।।2।। | तारण सकति सहीजे यामैं, तौ आपण क्यूँ न तिरै रे।।2।। | ||
अहीं भरोसै सब जग बूझा, सुंणि पंडित की बात रे।। | अहीं भरोसै सब जग बूझा, सुंणि पंडित की बात रे।। | ||
याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात | याकै दरसि कौंण गुण छूटा, सब जग आया जात रे।।3।। | ||
याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | याकी सेव सूल नहीं भाजै, कटै न संसै पास रे। | ||
सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास रे।।४।। | सौचि बिचारि देखिया मूरति, यौं छाड़ौ रैदास रे।।४।। |
Revision as of 10:10, 1 November 2014
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
पांडे कैसी पूज रची रे। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |