तडित्केशी: Difference between revisions

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*राजा तडित्केशी लंकानरेश था। एक बार वह अपनी पत्नी श्रीचंद्रा के साथ उद्यान में क्रीड़ा कर रहा था। उसी समय सहसा नामक [[बंदर]] ने नीचे गिरकर रानी के स्तन विदीर्ण कर डाले। रानी के स्तन से बहते हुए [[रुधिर]] को देखकर राजा बहुत ही रुष्ट हुआ।  
'''तडित्केशी''' लंकानरेश था। एक बार वह अपनी पत्नी श्रीचंद्रा के साथ उद्यान में क्रीड़ा कर रहा था। उसी समय सहसा नामक [[बंदर]] ने नीचे गिरकर रानी के स्तन विदीर्ण कर डाले। रानी के स्तन से बहते हुए [[रुधिर]] को देखकर राजा बहुत ही रुष्ट हुआ।  
*राजा तडित्केशी ने उस बंदर पर प्रहार किया। बंदर घायल होकर मृतप्राय स्थिति में एक मुनि के पास पहुँचा। मुनि के प्रभाव से सहसा नामक बंदर का दूसरा जन्म उदधिकुमार नामक भवनवासी देव के रूप में हुआ।  
*राजा तडित्केशी ने उस बंदर पर प्रहार किया। बंदर घायल होकर मृतप्राय स्थिति में एक मुनि के पास पहुँचा। मुनि के प्रभाव से सहसा नामक बंदर का दूसरा जन्म उदधिकुमार नामक भवनवासी देव के रूप में हुआ।  
*उदधिकुमार ने पूर्वजन्म का स्मरण करके वानरों के साथ राजा तडित्केशी पर पत्थरों की वर्षा प्रारम्भ की। तडित्केशी ने उदधिकुमार से उसका परिचय और इस कृत्य का मंतव्य पूछा।  
*उदधिकुमार ने पूर्वजन्म का स्मरण करके वानरों के साथ राजा तडित्केशी पर पत्थरों की वर्षा प्रारम्भ की। तडित्केशी ने उदधिकुमार से उसका परिचय और इस कृत्य का मंतव्य पूछा।  
*उदधिकुमार ने राजा तडित्केशी को अपने पूर्वजन्म की कथा कह सुनाई। राजा ने उदधिकुमार से क्षमा-याचना की। दोनों मित्रवत मुनि के पास गये, मुनि ने उन दोनों के पूर्वजन्म के विषय में अनेक घटनाएँ बतायीं।
*उदधिकुमार ने राजा तडित्केशी को अपने पूर्वजन्म की कथा कह सुनाई। राजा ने उदधिकुमार से क्षमा-याचना की। दोनों मित्रवत मुनि के पास गये, मुनि ने उन दोनों के पूर्वजन्म के विषय में अनेक घटनाएँ बतायीं।


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Revision as of 14:30, 8 November 2014

तडित्केशी लंकानरेश था। एक बार वह अपनी पत्नी श्रीचंद्रा के साथ उद्यान में क्रीड़ा कर रहा था। उसी समय सहसा नामक बंदर ने नीचे गिरकर रानी के स्तन विदीर्ण कर डाले। रानी के स्तन से बहते हुए रुधिर को देखकर राजा बहुत ही रुष्ट हुआ।

  • राजा तडित्केशी ने उस बंदर पर प्रहार किया। बंदर घायल होकर मृतप्राय स्थिति में एक मुनि के पास पहुँचा। मुनि के प्रभाव से सहसा नामक बंदर का दूसरा जन्म उदधिकुमार नामक भवनवासी देव के रूप में हुआ।
  • उदधिकुमार ने पूर्वजन्म का स्मरण करके वानरों के साथ राजा तडित्केशी पर पत्थरों की वर्षा प्रारम्भ की। तडित्केशी ने उदधिकुमार से उसका परिचय और इस कृत्य का मंतव्य पूछा।
  • उदधिकुमार ने राजा तडित्केशी को अपने पूर्वजन्म की कथा कह सुनाई। राजा ने उदधिकुमार से क्षमा-याचना की। दोनों मित्रवत मुनि के पास गये, मुनि ने उन दोनों के पूर्वजन्म के विषय में अनेक घटनाएँ बतायीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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  1. विद्यावाचस्पति, डॉ. उषा पुरी भारतीय मिथक कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नेशनल पब्लिशिंग हाउस नयी दिल्ली, पृष्ठ सं 118।

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