ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल, दुराये नैना बनाये बतियां । कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऐ जान, न लेहो काहे लगाये छतियां ।। शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़ वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह, सखि पिया को जो मैं न देखूं तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ।। यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं, किसे पडी है जो जा सुनावे पियारे पी को हमारी बतियां ।। चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान हमेशा गिरयान, बे इश्क़ आं मेह । न नींद नैना, ना अंग चैना ना आप आवें, न भेजें पतियां ।। बहक्क-ए-रोज़े, विसाल-ए-दिलबर कि दाद मारा, ग़रीब खुसरौ । सपेट मन के, वराये राखूं जो जाये पांव, पिया के खटियां ।।