काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो

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काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो
कवि अमीर ख़ुसरो
जन्म 1253 ई.
जन्म स्थान एटा, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1325 ई.
मुख्य रचनाएँ मसनवी किरानुससादैन, मल्लोल अनवर, शिरीन ख़ुसरो, मजनू लैला, आईने-ए-सिकन्दरी, हश्त विहिश
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अमीर ख़ुसरो की रचनाएँ

काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

भैया को दियो बाबुल महले दो-महले,
हमको दियो परदेस।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ,
जित हाँके हँक जैहें।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ,
घर-घर माँगे हैं जैहें।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

कोठे तले से पलकिया जो निकली,
बीरन में छाए पछाड़।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ,
भोर भये उड़ जैहें।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़,
छूटा सहेली का साथ।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

डोली का पर्दा उठा के जो देखा,
आया पिया का देस।
अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।

अरे, लखिय बाबुल मोरे,
काहे को ब्याहे बिदेस।
अरे, लखिय बाबुल मोरे......




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