रंगलाल बनर्जी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:00, 12 September 2011 by लक्ष्मी (talk | contribs)
Jump to navigation Jump to search
  • रंगलाल बनर्जी (1817-87 ई.) बंगाल के कवि थे।
  • रंगलाल बनर्जी ने अपनी रचनाओं के द्वारा राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया तथा देशवासियों में स्वाधीनता की भावना पैदा की।
  • रंगलाल बनर्जी उदात्त रचना 'पद्मिनी' की यह मार्मिक पंक्ति बड़ी लोकप्रिय थी "स्वाधीनता हीनताय के वसिते चाय रे, के वसिते चाय?" (ऐसे राज्य में कौन रहना चाहता है? जहाँ आज़ादी नहीं है?)




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 268।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः