नरहरि प्रगटसि -रैदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 08:26, 28 September 2011 by स्नेहा (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
नरहरि प्रगटसि -रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

नरहरि प्रगटसि नां हो प्रगटसि नां।
दीनानाथ दयाल नरहरि।। टेक।।
जन मैं तोही थैं बिगरां न अहो, कछू बूझत हूँ रसयांन।
परिवार बिमुख मोहि लाग, कछू समझि परत नहीं जाग।।1।।
इक भंमदेस कलिकाल, अहो मैं आइ पर्यौ जंम जाल।
कबहूँक तोर भरोस, जो मैं न कहूँ तो मोर दोस।।2।।
अस कहियत तेऊ न जांन, अहो प्रभू तुम्ह श्रबंगि सयांन।
सुत सेवक सदा असोच, ठाकुर पितहि सब सोच।।3।।
रैदास बिनवैं कर जोरि, अहो स्वांमीं तोहि नांहि न खोरि।
सु तौ अपूरबला अक्रम मोर, बलि बलि जांऊं करौ जिनि और।।4।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः