तुझा देव कवलापती सरणि आयौ -रैदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:48, 28 September 2011 by स्नेहा (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
तुझा देव कवलापती सरणि आयौ -रैदास
कवि रैदास
जन्म 1398 ई. (लगभग)
जन्म स्थान काशी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1518 ई.
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रैदास की रचनाएँ

तुझा देव कवलापती सरणि आयौ।
मंझा जनम संदेह भ्रम छेदि माया।। टेक।।
अति संसार अपार भौ सागरा, ता मैं जांमण मरण संदेह भारी।
कांम भ्रम क्रोध भ्रम लोभ भ्रम, मोह भ्रम, अनत भ्रम छेदि मम करसि यारी।।1।।
पंच संगी मिलि पीड़ियौ प्रांणि यौं, जाइ न न सकू बैराग भागा।
पुत्र बरग कुल बंधु ते भारज्या, भखैं दसौ दिसि रिस काल लागा।।2।।
भगति च्यंतौं तो मोहि दुख ब्यापै, मोह च्यंतौ तौ तेरी भगति जाई।
उभै संदेह मोहि रैंणि दिन ब्यापै, दीन दाता करौं कौंण उपाई।।3।।
चपल चेत्यौ नहीं बहुत दुख देखियौ, कांम बसि मोहियौ क्रम फंधा।
सकति सनबंध कीयौ, ग्यान पद हरि लीयौ, हिरदै बिस रूप तजि भयौ अंधा।।4।।
परम प्रकास अबिनास अघ मोचनां, निरखि निज रूप बिश्रांम पाया।
बंदत रैदास बैराग पद च्यंतता, जपौ जगदीस गोब्यंद राया।।5।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः