अंखियां हरि-दरसन की भूखी -सूरदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 10:25, 1 March 2012 by प्रीति चौधरी (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
अंखियां हरि-दरसन की भूखी -सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

अंखियां हरि-दरसन की भूखी।
कैसे रहैं रूप-रस रांची[1] ये बतियां सुनि रूखी॥
अवधि[2] गनत इकटक मग जोवत तब ये तौ नहिं झूखी।[3]
अब इन जोग संदेसनि ऊधो, अति अकुलानी दूखी॥[4]
बारक[5] वह मुख फेरि दिखावहुदुहि पय पिवत पतूखी।[6]
सूर, जोग जनि नाव चलावहु ये सरिता हैं सूखी॥

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रंगी हुईं अनुरूप।
  2. नियत समय।
  3. दुःख से पछताई खीजी।
  4. दुःखित हुई।
  5. एक बार।
  6. पत्तेश का छोटा-सा दाना

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः