सोइ रसना जो हरिगुन गावै -सूरदास

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 12:51, 1 March 2012 by फ़ौज़िया ख़ान (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
सोइ रसना जो हरिगुन गावै -सूरदास
कवि महाकवि सूरदास
जन्म संवत 1535 वि.(सन 1478 ई.)
जन्म स्थान रुनकता
मृत्यु 1583 ई.
मृत्यु स्थान पारसौली
मुख्य रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सूरदास की रचनाएँ

सोइ रसना[1] जो हरिगुन गावै।
नैननि की छवि[2] यहै चतुरता जो मुकुंद मकरंद[3] हिं धावै॥
निर्मल चित तौ सोई सांचो कृष्ण बिना जिहिं और न भावै।[4]
स्रवननि की जु यहै अधिकाई,[5] सुनि हरि कथा सुधारस प्यावै॥
कर तैई जै स्यामहिं सेवैं, चरननि चलि बृन्दावन जावै।
सूरदास, जै यै बलि ताको, जो हरिजू सों प्रीति बढ़ावै॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जीभ, वाणी
  2. शोभा
  3. पराग
  4. अच्छा नहीं लगता है
  5. बड़ाई, सार्थकता

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः