Difference between revisions of "जयौ रांम गोब्यंद बीठल बासदेव -रैदास"
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देव दीन उधंरन, चरंन सरन तेरी।। | देव दीन उधंरन, चरंन सरन तेरी।। | ||
नहीं आंन गति बिपति कौं हरन और। | नहीं आंन गति बिपति कौं हरन और। | ||
− | श्रीपति सुनसि सीख संभाल प्रभु करहु | + | श्रीपति सुनसि सीख संभाल प्रभु करहु मेरी।।1।। |
अहो देव कांम केसरि काल, भुजंग भांमिनी भाल। | अहो देव कांम केसरि काल, भुजंग भांमिनी भाल। | ||
− | लोभ सूकर क्रोध बर | + | लोभ सूकर क्रोध बर बारनूँ।।2।। |
ग्रब गैंडा महा मोह टटनीं, बिकट निकट अहंकार आरनूँ। | ग्रब गैंडा महा मोह टटनीं, बिकट निकट अहंकार आरनूँ। | ||
जल मनोरथ ऊरमीं, तरल तृसना मकर इन्द्री जीव जंत्रक मांही। | जल मनोरथ ऊरमीं, तरल तृसना मकर इन्द्री जीव जंत्रक मांही। | ||
− | समक ब्याकुल नाथ, सत्य बिष्यादिक पंथ, देव देव विश्राम | + | समक ब्याकुल नाथ, सत्य बिष्यादिक पंथ, देव देव विश्राम नांही।।3।। |
अहो देव सबै असंगति मेर, मधि फूटा भेर। | अहो देव सबै असंगति मेर, मधि फूटा भेर। | ||
नांव नवका बड़ैं भागि पायौ। | नांव नवका बड़ैं भागि पायौ। | ||
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कासूँ कहूँ, का करूँ अनुग्रह दास की त्रासहारी। | कासूँ कहूँ, का करूँ अनुग्रह दास की त्रासहारी। | ||
इति ब्रत मांन और अवलंबन नहीं। | इति ब्रत मांन और अवलंबन नहीं। | ||
− | तो बिन त्रिबधि नाइक | + | तो बिन त्रिबधि नाइक मुरारी।।3।। |
अहो देव जेते कयैं अचेत, तू सरबगि मैं न जांनूं। | अहो देव जेते कयैं अचेत, तू सरबगि मैं न जांनूं। | ||
ग्यांन ध्यांन तेरौ, सत्य सतिम्रिद परपन मन सा मल। | ग्यांन ध्यांन तेरौ, सत्य सतिम्रिद परपन मन सा मल। | ||
मन क्रम बचन जंमनिका, ग्यान बैराग दिढ़ भगति नाहीं। | मन क्रम बचन जंमनिका, ग्यान बैराग दिढ़ भगति नाहीं। | ||
मलिन मति रैदास, निखल सेवा अभ्यास। | मलिन मति रैदास, निखल सेवा अभ्यास। | ||
− | प्रेम बिन प्रीति सकल संसै न | + | प्रेम बिन प्रीति सकल संसै न जांहीं।।4।। |
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Latest revision as of 10:44, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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jayau raanm gobyand bithal basadev. |
tika tippani aur sandarbh
sanbandhit lekh