Difference between revisions of "मरम कैसैं पाइबौ रे -रैदास"
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तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव अधार।।3।। | तीन्यूं जुग तीन्यूं दिढी, कलि केवल नांव अधार।।3।। | ||
बाहरि अंग पखालिये, घट भीतरि बिबधि बिकार। | बाहरि अंग पखालिये, घट भीतरि बिबधि बिकार। | ||
− | सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति | + | सुचि कवन परिहोइये, कुंजर गति ब्यौहार।।4।। |
रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | रवि प्रकास रजनी जथा, गत दीसै संसार पारस मनि तांबौ छिवै। | ||
− | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां | + | कनक होत नहीं बार, धन जोबन प्रभु नां मिलै।।5।। |
ना मिलै कुल करनी आचार। | ना मिलै कुल करनी आचार। | ||
− | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब | + | एकै अनेक बिगाइया, ताकौं जाणैं सब संसार।।6।। |
अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | अनेक जतन करि टारिये, टारी टरै न भ्रम पास। | ||
− | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास | + | प्रेम भगति नहीं उपजै, ताथैं रैदास उदास।।7।। |
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Latest revision as of 11:32, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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maram kaisaian paibau re. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |