Difference between revisions of "मैं का जांनूं देव मैं का जांनू -रैदास"
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तुम तौ आहि जगत गुर स्वांमीं, हम कहियत कलिजुग के कांमी।।1।। | तुम तौ आहि जगत गुर स्वांमीं, हम कहियत कलिजुग के कांमी।।1।। | ||
लोक बेद मेरे सुकृत बढ़ाई, लोक लीक मोपैं तजी न जाई। | लोक बेद मेरे सुकृत बढ़ाई, लोक लीक मोपैं तजी न जाई। | ||
− | इन मिलि मेरौ मन जु बिगार्यौ, दिन दिन हरि जी सूँ अंतर | + | इन मिलि मेरौ मन जु बिगार्यौ, दिन दिन हरि जी सूँ अंतर पार्यौ।।2।। |
सनक सनंदन महा मुनि ग्यांनी, सुख नारद ब्यास इहै बखांनीं। | सनक सनंदन महा मुनि ग्यांनी, सुख नारद ब्यास इहै बखांनीं। | ||
गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।३।। | गावत निगम उमांपति स्वांमीं, सेस सहंस मुख कीरति गांमी।।३।। |
Revision as of 10:03, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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maian ka jaannooan dev maian ka jaannoo. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |