Difference between revisions of "मो सउ कोऊ न कहै समझाइ -रैदास"
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सुध कवन पर होइबो सुव कुंजर बिधि बिउहार।।4।। | सुध कवन पर होइबो सुव कुंजर बिधि बिउहार।।4।। | ||
रवि प्रगास रजनी जथा गति जानत सभ संसार। | रवि प्रगास रजनी जथा गति जानत सभ संसार। | ||
− | पारस मानो ताबो छुए कनक होत नहीं | + | पारस मानो ताबो छुए कनक होत नहीं बार।।5।। |
परम परस गुरु भेटीऐ पूरब लिखत लिलाट। | परम परस गुरु भेटीऐ पूरब लिखत लिलाट। | ||
उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।।६।। | उनमन मन मन ही मिले छुटकत बजर कपाट।।६।। |
Revision as of 11:21, 1 November 2014
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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mo su kooo n kahai samajhai. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |