Difference between revisions of "रांम राइ का कहिये यहु ऐसी -रैदास"
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जन की जांनत हौ जैसी तैसी।। टेक।। | जन की जांनत हौ जैसी तैसी।। टेक।। | ||
मीन पकरि काट्यौ अरु फाट्यौ, बांटि कीयौ बहु बांनीं। | मीन पकरि काट्यौ अरु फाट्यौ, बांटि कीयौ बहु बांनीं। | ||
− | खंड खंड करि भोजन कीन्हौं, तऊ न बिसार्यौ | + | खंड खंड करि भोजन कीन्हौं, तऊ न बिसार्यौ पांनी।।1।। |
तै हम बाँधे मोह पासि मैं, हम तूं प्रेम जेवरिया बांध्यौ। | तै हम बाँधे मोह पासि मैं, हम तूं प्रेम जेवरिया बांध्यौ। | ||
− | अपने छूटन के जतन करत हौ, हम छूटे तूँ | + | अपने छूटन के जतन करत हौ, हम छूटे तूँ आराध्यौ।।2।। |
कहै रैदास भगति इक बाढ़ी, अब काकौ डर डरिये। | कहै रैदास भगति इक बाढ़ी, अब काकौ डर डरिये। | ||
− | जा डर कौं हम तुम्ह कौं सेवैं, सु | + | जा डर कौं हम तुम्ह कौं सेवैं, सु दु:ख अजहूँ सहिये।।3।। |
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Latest revision as of 14:05, 2 June 2017
chitr:Icon-edit.gif | is lekh ka punarikshan evan sampadan hona avashyak hai. ap isamean sahayata kar sakate haian. "sujhav" |
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raanm rai ka kahiye yahu aisi. |
tika tippani aur sandarbhsanbandhit lekh |