इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
इस तरह ढक्कन लगाया रात ने -माखन लाल चतुर्वेदी
कवि माखन लाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल, 1889 ई.
जन्म स्थान बावई, मध्य प्रदेश
मृत्यु 30 जनवरी, 1968 ई.
मुख्य रचनाएँ कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
माखन लाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

इस तरह ढक्कन लगाया रात ने,
इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके।

बुझ गया सूर्य,
बुझ गया चाँद, त्रस्त ओट लिये
गगन भागता है तारों की मोट लिये!

आगे-पीछे, ऊपर-नीचे,
अग-जग में तुम हुए अकेले,
छोड़ चली पहचान, पुष्पझर
रहे गंधवाही अलबेले।

ये प्रकाश के मरण-चिह्न तारे
इनमें कितना यौवन है?
गिरि-कंदर पर, उजड़े घर पर,
घूम रहे नि:शंक मगन हैं।

घूम रही एकाकिनि वसुधा,
जग पर एकाकी तम छाया,
कलियाँ किन्तु निहाल हो उठीं,
तू उनमें चुप-चुप भर आया।

मुँह धो-धोकर दूब बुलाती,
चरणों में छूना उकसाती,
साँस मनोहर आती-जाती,
मधु-संदेशे भर-भर लाती।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः