चालो अगमके देस कास देखत डरै -मीरां

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
चालो अगमके देस कास देखत डरै -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

राग शुद्ध सारंग


चालो अगमके [1] देस कास देखत डरै।
वहां भरा प्रेम का हौज़ हंस [2] केल्यां [3] करै॥

ओढ़ण लज्जा चीर धीरज कों घांघरो।
छिमता [4] कांकण हाथ सुमत को मूंदरो॥

दिल दुलड़ी [5] दरियाव सांचको दोवडो [6]
उबटण गुरुको ग्यान ध्यान को धोवणो॥

कान अखोटा ग्यान जुगतको झोंटणो [7]
बेसर [8] हरिको नाम चूड़ो चित ऊजणो [9]

पूंची है बिसवास काजल है धरमकी।
दातां इम्रत रेख दयाको बोलणो॥

जौहर एक आभूषण सील संतोष निरतको घूंघरो।
बिंदली [10] गज [11]और हार तिलक हरि-प्रेम रो॥

सज सोला सिणगार पहरि सोने राखड़ीं।
सांवलियांसूं प्रीति औरासूं आखड़ी टूट गई॥

पतिबरता की सेज प्रभुजी पधारिया।
गावै मीराबाई दासि कर राखिया चूडामणि॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जहां पहुंच न हो, परमात्मा का पद
  2. जीवात्मा से आशय है
  3. क्रीड़ाएं
  4. क्षमा
  5. दो लडोंवाली माला
  6. गले में पहनने का गहना
  7. कान का एक गहना
  8. नाक का एक गहना
  9. शुद्ध
  10. टिकुली
  11. गजमोतियों की माला

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः