कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान: Difference between revisions

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देखो कोयल काली है पर
देखो कोयल काली है पर,
मीठी है इसकी बोली
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक कूक कर
इसने ही तो कूक कूक कर,
आमों में मिश्री घोली
आमों में मिश्री घोली।


कोयल कोयल सच बतलाना
कोयल कोयल सच बतलाना,
क्या संदेसा लायी हो
क्या संदेसा लायी हो?
बहुत दिनों के बाद आज फिर
बहुत दिनों के बाद आज फिर,
इस डाली पर आई हो
इस डाली पर आई हो।


क्या गाती हो किसे बुलाती
क्या गाती हो किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख मांगती
प्यासी धरती देख मांगती,
हो क्या मेघों से पानी?
हो क्या मेघों से पानी?


कोयल यह मिठास क्या तुमने
कोयल यह मिठास क्या तुमने,
अपनी माँ से पायी है?
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी
माँ ने ही क्या तुमको मीठी,
बोली यह सिखलायी है?
बोली यह सिखलायी है?


डाल डाल पर उड़ना गाना
डाल डाल पर उड़ना गाना,
जिसने तुम्हें सिखाया है
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे मीठे बोलो
सबसे मीठे मीठे बोलो,
यह भी तुम्हें बताया है
यह भी तुम्हें बताया है।


बहुत भली हो तुमने माँ की
बहुत भली हो तुमने माँ की,
बात सदा ही है मानी
बात सदा ही है मानी,
इसीलिये तो तुम कहलाती
इसीलिये तो तुम कहलाती,
हो सब चिड़ियों की रानी
हो सब चिड़ियों की रानी।
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Latest revision as of 07:13, 24 December 2011

कोयल -सुभद्रा कुमारी चौहान
कवि सुभद्रा कुमारी चौहान
जन्म 16 अगस्त, 1904
जन्म स्थान इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 15 फरवरी, 1948
मुख्य रचनाएँ 'मुकुल', 'झाँसी की रानी', बिखरे मोती आदि
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ

देखो कोयल काली है पर,
मीठी है इसकी बोली,
इसने ही तो कूक कूक कर,
आमों में मिश्री घोली।

कोयल कोयल सच बतलाना,
क्या संदेसा लायी हो?
बहुत दिनों के बाद आज फिर,
इस डाली पर आई हो।

क्या गाती हो किसे बुलाती?
बतला दो कोयल रानी,
प्यासी धरती देख मांगती,
हो क्या मेघों से पानी?

कोयल यह मिठास क्या तुमने,
अपनी माँ से पायी है?
माँ ने ही क्या तुमको मीठी,
बोली यह सिखलायी है?

डाल डाल पर उड़ना गाना,
जिसने तुम्हें सिखाया है,
सबसे मीठे मीठे बोलो,
यह भी तुम्हें बताया है।

बहुत भली हो तुमने माँ की,
बात सदा ही है मानी,
इसीलिये तो तुम कहलाती,
हो सब चिड़ियों की रानी।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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