हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Jaishankar-Prasad....' के साथ नया पन्ना बनाया) |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (हिमाद्रि तुंग शृंग से -जयशंकर प्रसाद का नाम बदलकर हिमाद्रि तुंग श्रृंग से -जयशंकर प्रसाद कर ...) |
||
(7 intermediate revisions by 5 users not shown) | |||
Line 8: | Line 8: | ||
|जन्म=[[30 जनवरी]], 1889 | |जन्म=[[30 जनवरी]], 1889 | ||
|जन्म स्थान=[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] | |जन्म स्थान=[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]] | ||
|मृत्यु=[[15 नवम्बर]], | |मृत्यु=[[15 नवम्बर]], सन् 1937 | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
|मुख्य रचनाएँ=चित्राधार, [[कामायनी]], आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, [[अजातशत्रु नाटक|अजातशत्रु]] | |मुख्य रचनाएँ=चित्राधार, [[कामायनी]], आँसू, लहर, झरना, एक घूँट, विशाख, [[अजातशत्रु नाटक|अजातशत्रु]] | ||
|यू-ट्यूब लिंक= | |यू-ट्यूब लिंक=[http://www.youtube.com/watch?v=eKljP13FZJY हिमाद्रि तुंग श्रृंग से] | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
|पाठ 1= | |पाठ 1= | ||
Line 28: | Line 28: | ||
</div></div> | </div></div> | ||
|} | |} | ||
'''प्रयाणगीत<ref>प्रसिद्ध साहित्यकार [[जयशंकर प्रसाद]] के नाटक चंद्रगुप्त के छठे दृश्य में यह [[वीर रस]] का प्रेरणादायक गीत है। जो [[भारत]] में बहुत प्रसिद्ध है यह अक्सर विद्यालयों में समूह गान के रूप में गाया जाता है।</ref>''' | |||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, | |||
प्रबुद्ध शुद्ध भारती। | प्रबुद्ध शुद्ध भारती। | ||
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला, | |||
स्वतंत्रता पुकारती॥ | स्वतंत्रता पुकारती॥ | ||
अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ | अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ प्रतिज्ञ सोच लो। | ||
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो॥ | प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो॥ | ||
असंख्य कीर्ति रश्मियाँ, | असंख्य कीर्ति रश्मियाँ, | ||
Line 40: | Line 43: | ||
सपूत मातृभूमि के, | सपूत मातृभूमि के, | ||
रुको न शूर साहसी॥ | रुको न शूर साहसी॥ | ||
अराति सैन्य सिन्धु में, सुबाड़वाग्नि से जलो। | |||
प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥ | प्रवीर हो जयी बनो, बढ़े चलो बढ़े चलो॥<ref>{{cite book | last = प्रसाद | first = रत्नशंकर | title = प्रसाद ग्रंथावली ॥प्रसाद वांङमय॥ | edition = 1985 | publisher = वर्द्धमान मुद्रणालय जवाहरनगर, वाराणसी | location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | language = [[हिन्दी]] | pages = पृष्ठ सं 720 | chapter = खण्ड 2 }}</ref> | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} | ||
{| width="100%" | |||
|- | |||
| | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | |||
{{भारत के कवि}} | |||
[[Category:पद्य साहित्य]][[Category:जयशंकर प्रसाद]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] | [[Category:पद्य साहित्य]][[Category:जयशंकर प्रसाद]][[Category:कविता]][[Category:हिन्दी कविता]][[Category:काव्य कोश]] | ||
|} | |||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 13:35, 30 September 2013
| ||||||||||||||||||||
|
प्रयाणगीत[1]
हिमाद्रि तुंग श्रृंग से, |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख |