जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "४" to "4")
m (Text replace - "५" to "5")
 
Line 37: Line 37:
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥4॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥4॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥५॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥5॥


</poem>
</poem>

Latest revision as of 11:21, 1 November 2014

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया -मीरां
कवि मीरांबाई
जन्म 1498
जन्म स्थान मेरता, राजस्थान
मृत्यु 1547
मुख्य रचनाएँ बरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग गोविंद, राग सोरठ के पद
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मीरांबाई की रचनाएँ

जमुनामों कैशी जाऊं मोरे सैया। बीच खडा तोरो लाल कन्हैया॥ध्रु०॥
ब्रिदाबनके मथुरा नगरी पाणी भरणा। कैशी जाऊं मोरे सैंया॥1॥
हातमों मोरे चूडा भरा है। कंगण लेहेरा देत मोरे सैया॥2॥
दधी मेरा खाया मटकी फोरी। अब कैशी बुरी बात बोलु मोरे सैया॥3॥
शिरपर घडा घडेपर झारी। पतली कमर लचकया सैया॥4॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरणकमल बलजाऊ मोरे सैया॥5॥

संबंधित लेख