व्रजन: Difference between revisions

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*इनकी धूमिनी नाम वाली स्त्री ने ॠक्ष को, [[नीली]] ने दुष्‍यन्‍त और [[परमेष्ठी]] को तथा [[केशिनी]] ने जह्र, व्रजन तथा रूपिण इन तीन पुत्रों को जन्‍म दिया था।  
*इनकी धूमिनी नाम वाली स्त्री ने ॠक्ष को, [[नीली]] ने दुष्‍यन्‍त और [[परमेष्ठी]] को तथा [[केशिनी]] ने जह्र, व्रजन तथा रूपिण इन तीन पुत्रों को जन्‍म दिया था।  
*इनमें दुष्‍यन्‍त और परमेष्ठी के सभी पुत्र पाञ्चाल कहलाये थे।  
*इनमें दुष्‍यन्‍त और परमेष्ठी के सभी पुत्र पाञ्चाल कहलाये थे।  
*अमित तेजस्‍वी जह्र के वंशज कुशिक नाम से प्रसिद्ध हुए। व्रजन तथा रूपिण के ज्‍येष्ठ भाई ॠक्ष को राजा कहा गया है।<ref>{{cite web |url=http://hi.krishnakosh.org/%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A3/%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%86%E0%A4%A6%E0%A4%BF_%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5_%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%AF_94_%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%95_22-41|title=महाभारत आदि पर्व|accessmonthday=3 फरवरी|accessyear=2016|last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कृष्णकोश|language=हिन्दी}}</ref>
*अमित तेजस्‍वी जह्र के वंशज कुशिक नाम से प्रसिद्ध हुए। व्रजन तथा रूपिण के ज्‍येष्ठ भाई ॠक्ष को राजा कहा गया है।


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==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 06:58, 6 March 2016

व्रजन का उल्लेख हिन्दू पौराणिक महाकाव्य महाभारत में हुआ है, जो कि केशिनी के पुत्र थे।

  • राजा सुहोत्र का विवाह ऐक्ष्‍वाकी से हुआ था।
  • ऐक्ष्‍वाकी ने अजमीढ़, सुसीढ तथा पुरुमीढ नामक तीन पुत्रों को जन्‍म दिया। उनमें अजमीढ़ ज्‍येष्ठ थे। उन्‍हीं पर वंश की मर्यादा टिकी हुई थी।
  • अजमीढ़ ने भी तीन स्त्रियों से विवाह किया था। तीनों स्त्रियों के गर्भ से छ: पुत्रों का जन्म हुआ था।
  • इनकी धूमिनी नाम वाली स्त्री ने ॠक्ष को, नीली ने दुष्‍यन्‍त और परमेष्ठी को तथा केशिनी ने जह्र, व्रजन तथा रूपिण इन तीन पुत्रों को जन्‍म दिया था।
  • इनमें दुष्‍यन्‍त और परमेष्ठी के सभी पुत्र पाञ्चाल कहलाये थे।
  • अमित तेजस्‍वी जह्र के वंशज कुशिक नाम से प्रसिद्ध हुए। व्रजन तथा रूपिण के ज्‍येष्ठ भाई ॠक्ष को राजा कहा गया है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

महाभारत आदि पर्व |लेखक: साहित्याचार्य पण्डित रामनारायणदत्त शास्त्री पाण्डेय 'राम' |प्रकाशक: गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 286 |


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