Difference between revisions of "समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर"
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - " सन " to " सन् ") |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - "ह्रदय" to "हृदय") |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 33: | Line 33: | ||
ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ||
किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? | किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? | ||
− | किसने कहा, और मत बेधो | + | किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्रि के शर से, |
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | ||
Line 73: | Line 73: | ||
समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो | समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो | ||
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो | शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो | ||
− | पथरीली ऊँची | + | पथरीली ऊँची ज़मीन है? तो उसको तोडेंगे |
समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे | समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे | ||
Latest revision as of 09:54, 24 February 2017
| ||||||||||||||||||
|
dhili karo dhanush ki dori, tarakas ka kas kholo , |
sanbandhit lekh