पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै -रहीम: Difference between revisions

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पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो।
पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो।
हिरदै दहिबे सहिबे ही को है, कहिबे को कहा कछु है गहि फेटो॥
हिरदै दहिबे सहिबे ही को है, कहिबे को कहा कछु है गहि फेटो॥
सूधै चितै तन हा हा करें हू ’रहीम’ इतो दुख जात क्यों मेटो।
सूधै चितै तन हा हा करें हू ’रहीम’ इतो दु:ख जात क्यों मेटो।
ऐसे कठोर सों औ चितचोर सों कौन सी हाय घरी भई भेंटो॥  
ऐसे कठोर सों औ चितचोर सों कौन सी हाय घरी भई भेंटो॥  
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Latest revision as of 14:02, 2 June 2017

पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै -रहीम
कवि रहीम
जन्म 17 दिसम्बर 1556 ई.
मृत्यु 1627 ई.
मुख्य रचनाएँ रहीम रत्नावली, रहीम विलास, रहिमन विनोद, रहीम 'कवितावली, रहिमन चंद्रिका, रहिमन शतक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रहीम की रचनाएँ

पुतरी अतुरीन कहूँ मिलि कै लगि लागि गयो कहुँ काहु करैटो।
हिरदै दहिबे सहिबे ही को है, कहिबे को कहा कछु है गहि फेटो॥
सूधै चितै तन हा हा करें हू ’रहीम’ इतो दु:ख जात क्यों मेटो।
ऐसे कठोर सों औ चितचोर सों कौन सी हाय घरी भई भेंटो॥

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