अलक्ष्मी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
आदित्य चौधरी (talk | contribs) m (Text replacement - "आंखें" to "आँखें") |
||
(One intermediate revision by one other user not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
'''अलक्ष्मी''' दरिद्रता की अधिष्ठात्री [[देवी]] हैं, जिनका प्रादुर्भाव कालकूट के बाद [[समुद्र मंथन|समुद्रमंथन]] के समय हुआ। अलक्ष्मी [[विष्णु]]-पत्नी [[लक्ष्मी]] की बड़ी बहिन है जो 'अधर्म' की पत्नी हैं और जिनकी दृष्टि पड़ते ही व्यक्ति निर्धन हो जाता है। यह वृद्धा थी और इसके केश पीले, | '''अलक्ष्मी''' दरिद्रता की अधिष्ठात्री [[देवी]] हैं, जिनका प्रादुर्भाव कालकूट के बाद [[समुद्र मंथन|समुद्रमंथन]] के समय हुआ। अलक्ष्मी [[विष्णु]]-पत्नी [[लक्ष्मी]] की बड़ी बहिन है जो 'अधर्म' की पत्नी हैं और जिनकी दृष्टि पड़ते ही व्यक्ति निर्धन हो जाता है। यह वृद्धा थी और इसके केश पीले, आँखें लाल तथा [[मुख]] काला था, देवताओं ने इसे वरदान दिया कि:- | ||
#जिस घर में कलह हो, वहीं तुम रहो। | #जिस घर में कलह हो, वहीं तुम रहो। | ||
#हड्डी, [[कोयला]], केश तथा भूसी में वास करो। | #हड्डी, [[कोयला]], केश तथा भूसी में वास करो। |
Latest revision as of 05:21, 4 February 2021
अलक्ष्मी दरिद्रता की अधिष्ठात्री देवी हैं, जिनका प्रादुर्भाव कालकूट के बाद समुद्रमंथन के समय हुआ। अलक्ष्मी विष्णु-पत्नी लक्ष्मी की बड़ी बहिन है जो 'अधर्म' की पत्नी हैं और जिनकी दृष्टि पड़ते ही व्यक्ति निर्धन हो जाता है। यह वृद्धा थी और इसके केश पीले, आँखें लाल तथा मुख काला था, देवताओं ने इसे वरदान दिया कि:-
- जिस घर में कलह हो, वहीं तुम रहो।
- हड्डी, कोयला, केश तथा भूसी में वास करो।
- कठोर असत्यवादी, बिना हाथ मुँह धोए और संध्या समय भोजन करने वालों तथा अभक्ष्य भक्षियों को तुम दरिद्र बना दो।
- लक्ष्मी से पूर्व इनका आविर्भाव हुआ था अत: भगवान विष्णु से लक्ष्मी का विवाह होने के पूर्व इनका विवाह उद्दालक ऋषि से करना पड़ा।[1]
- लिंगपुराण[2] के अनुसार अलक्षमी का विवाह दु:सह नामक ब्राह्मण से हुआ और उसके पाताल चले जाने के बाद यहा अकेली रह गई।
- सनत्सुजात संहितांतर्गत कार्तिक माहात्म्य में लिखा है कि पति द्वारा परित्यक्त होने पर अलक्ष्मी पीपल वृक्ष के नीचे रहने लगीं। वहीं हर शनिवार को लक्ष्मी इससे मिलने आती हैं।
- अत: शनिवार को पीपल लक्ष्मीप्रद तथा अन्य दिन स्पर्श करने पर दारिद्रय देने वाला माना जाता है।[3]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख