Difference between revisions of "कैदी और कोकिला -माखन लाल चतुर्वेदी"
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|मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | |मृत्यु=[[30 जनवरी]], 1968 ई. | ||
|मृत्यु स्थान= | |मृत्यु स्थान= | ||
− | |मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, | + | |मुख्य रचनाएँ=कृष्णार्जुन युद्ध, हिमकिरीटिनी, साहित्य देवता, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूँजे धरा, अमीर इरादे, ग़रीब इरादे |
|यू-ट्यूब लिंक= | |यू-ट्यूब लिंक= | ||
|शीर्षक 1= | |शीर्षक 1= | ||
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क्या गाती हो? | क्या गाती हो? | ||
क्यों रह-रह जाती हो? | क्यों रह-रह जाती हो? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
क्या लाती हो? | क्या लाती हो? | ||
सन्देशा किसका है? | सन्देशा किसका है? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
ऊँची काली दीवारों के घेरे में, | ऊँची काली दीवारों के घेरे में, | ||
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, | डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, | ||
जीने को देते नहीं पेट भर खाना, | जीने को देते नहीं पेट भर खाना, | ||
− | मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना ! | + | मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना! |
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, | जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है, | ||
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है? | शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है? | ||
हिमकर निराश कर चला रात भी काली, | हिमकर निराश कर चला रात भी काली, | ||
− | इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ? | + | इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? |
क्यों हूक पड़ी? | क्यों हूक पड़ी? | ||
वेदना-बोझ वाली-सी; | वेदना-बोझ वाली-सी; | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
− | बन्दी सोते हैं, है घर-घर श्वासों का | + | बन्दी सोते हैं, है घर-घर श्वासों का, |
− | दिन के | + | दिन के दु:ख का रोना है निश्वासों का, |
अथवा स्वर है लोहे के दरवाजों का, | अथवा स्वर है लोहे के दरवाजों का, | ||
− | बूटों का, या | + | बूटों का, या सन्तरी की आवाजों का, |
− | या गिनने वाले करते | + | या गिनने वाले करते हाहाकार। |
सारी रातें है-एक, दो, तीन, चार-! | सारी रातें है-एक, दो, तीन, चार-! | ||
मेरे आँसू की भरीं उभय जब प्याली, | मेरे आँसू की भरीं उभय जब प्याली, | ||
Line 63: | Line 62: | ||
क्या हुई बावली? | क्या हुई बावली? | ||
अर्द्ध रात्रि को चीखी, | अर्द्ध रात्रि को चीखी, | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
किस दावानल की | किस दावानल की | ||
ज्वालाएँ हैं दीखीं? | ज्वालाएँ हैं दीखीं? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
निज मधुराई को कारागृह पर छाने, | निज मधुराई को कारागृह पर छाने, | ||
जी के घावों पर तरलामृत बरसाने, | जी के घावों पर तरलामृत बरसाने, | ||
या वायु-विटप-वल्लरी चीर, हठ ठाने | या वायु-विटप-वल्लरी चीर, हठ ठाने | ||
− | दीवार चीरकर अपना स्वर | + | दीवार चीरकर अपना स्वर आजमाने, |
या लेने आई इन आँखों का पानी? | या लेने आई इन आँखों का पानी? | ||
− | नभ के ये दीप बुझाने की है ठानी ! | + | नभ के ये दीप बुझाने की है ठानी! |
− | खा अन्धकार करते वे जग रखवाली | + | खा अन्धकार करते वे जग रखवाली, |
क्या उनकी शोभा तुझे न भाई आली? | क्या उनकी शोभा तुझे न भाई आली? | ||
तुम रवि-किरणों से खेल, | तुम रवि-किरणों से खेल, | ||
− | + | जगत को रोज जगाने वाली, | |
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
क्यों अर्द्ध रात्रि में विश्व | क्यों अर्द्ध रात्रि में विश्व | ||
जगाने आई हो? मतवाली | जगाने आई हो? मतवाली | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
दूबों के आँसू धोती रवि-किरनों पर, | दूबों के आँसू धोती रवि-किरनों पर, | ||
Line 88: | Line 87: | ||
ऊँचे उठने के व्रतधारी इस वन पर, | ऊँचे उठने के व्रतधारी इस वन पर, | ||
ब्रह्माण्ड कँपाती उस उद्दण्ड पवन पर, | ब्रह्माण्ड कँपाती उस उद्दण्ड पवन पर, | ||
− | तेरे मीठे गीतों का पूरा लेखा | + | तेरे मीठे गीतों का पूरा लेखा, |
मैंने प्रकाश में लिखा सजीला देखा। | मैंने प्रकाश में लिखा सजीला देखा। | ||
तब सर्वनाश करती क्यों हो, | तब सर्वनाश करती क्यों हो, | ||
तुम, जाने या बेजाने? | तुम, जाने या बेजाने? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
− | क्यों तमोपत्र पत्र विवश हुई | + | क्यों तमोपत्र पत्र विवश हुई, |
लिखने चमकीली तानें? | लिखने चमकीली तानें? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
− | क्या? | + | क्या? देख न सकती जंजीरों का गहना? |
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना, | हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश-राज का गहना, | ||
− | कोल्हू का | + | कोल्हू का चरक चूँ? जीवन की तान, |
मिट्टी पर अँगुलियों ने लिक्खे गान? | मिट्टी पर अँगुलियों ने लिक्खे गान? | ||
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, | हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, | ||
− | ख़ाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का | + | ख़ाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ। |
− | दिन में | + | दिन में करुणा क्यों जगे, रूलानेवाली, |
इसलिए रात में गजब ढा रही आली? | इसलिए रात में गजब ढा रही आली? | ||
इस शान्त समय में, | इस शान्त समय में, | ||
अन्धकार को बेध, रो रही क्यों हो? | अन्धकार को बेध, रो रही क्यों हो? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज | चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज | ||
इस भाँति बो रही क्यों हो? | इस भाँति बो रही क्यों हो? | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
काली तू, रजनी भी काली, | काली तू, रजनी भी काली, | ||
− | शासन की करनी भी काली | + | शासन की करनी भी काली, |
काली लहर कल्पना काली, | काली लहर कल्पना काली, | ||
मेरी काल कोठरी काली, | मेरी काल कोठरी काली, | ||
Line 121: | Line 120: | ||
मेरी लोह-श्रृंखला काली, | मेरी लोह-श्रृंखला काली, | ||
पहरे की हुंकृति की व्याली, | पहरे की हुंकृति की व्याली, | ||
− | तिस पर है गाली, ऐ आली ! | + | तिस पर है गाली, ऐ आली! |
इस काले संकट-सागर पर | इस काले संकट-सागर पर | ||
− | मरने की, मदमाती ! | + | मरने की, मदमाती! |
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
अपने चमकीले गीतों को | अपने चमकीले गीतों को | ||
− | क्योंकर हो तैराती ! | + | क्योंकर हो तैराती! |
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
तेरे `माँगे हुए' न बैना, | तेरे `माँगे हुए' न बैना, | ||
री, तू नहीं बन्दिनी मैना, | री, तू नहीं बन्दिनी मैना, | ||
न तू स्वर्ण-पिंजड़े की पाली, | न तू स्वर्ण-पिंजड़े की पाली, | ||
− | तुझे न दाख खिलाये आली ! | + | तुझे न दाख खिलाये आली! |
तोता नहीं; नहीं तू तूती, | तोता नहीं; नहीं तू तूती, | ||
तू स्वतन्त्र, बलि की गति कूती | तू स्वतन्त्र, बलि की गति कूती | ||
Line 139: | Line 138: | ||
तेरा स्वर बस शंखनाद है। | तेरा स्वर बस शंखनाद है। | ||
− | दीवारों के उस पार ! | + | दीवारों के उस पार! |
या कि इस पार दे रही गूँजें? | या कि इस पार दे रही गूँजें? | ||
− | हृदय टटोलो तो ! | + | हृदय टटोलो तो! |
त्याग शुक्लता, | त्याग शुक्लता, | ||
तुझ काली को, आर्य-भारती पूजे, | तुझ काली को, आर्य-भारती पूजे, | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
तुझे मिली हरियाली डाली, | तुझे मिली हरियाली डाली, | ||
मुझे नसीब कोठरी काली! | मुझे नसीब कोठरी काली! | ||
− | तेरा नभ भर में संचार | + | तेरा नभ भर में संचार, |
मेरा दस फुट का संसार! | मेरा दस फुट का संसार! | ||
तेरे गीत कहावें वाह, | तेरे गीत कहावें वाह, | ||
− | रोना भी है मुझे गुनाह ! | + | रोना भी है मुझे गुनाह! |
देख विषमता तेरी मेरी, | देख विषमता तेरी मेरी, | ||
− | बजा रही तिस पर रण-भेरी ! | + | बजा रही तिस पर रण-भेरी! |
इस हुंकृति पर, | इस हुंकृति पर, | ||
Line 162: | Line 161: | ||
कोकिल बोलो तो ! | कोकिल बोलो तो ! | ||
− | फिर कुहू ! | + | फिर कुहू! अरे क्या बन्द न होगा गाना? |
इस अंधकार में मधुराई दफनाना? | इस अंधकार में मधुराई दफनाना? | ||
नभ सीख चुका है कमज़ोरों को खाना, | नभ सीख चुका है कमज़ोरों को खाना, | ||
क्यों बना रही अपने को उसका दाना? | क्यों बना रही अपने को उसका दाना? | ||
− | फिर भी | + | फिर भी करुणा गाहक बन्दी सोते हैं, |
स्वप्नों में स्मृतियों की श्वासें धोते हैं! | स्वप्नों में स्मृतियों की श्वासें धोते हैं! | ||
इन लोह-सीखचों की कठोर पाशों में | इन लोह-सीखचों की कठोर पाशों में | ||
क्या भर देगी? बोलो निद्रित लाशों में? | क्या भर देगी? बोलो निद्रित लाशों में? | ||
− | क्या? घुस जायेगा | + | क्या? घुस जायेगा रूदन |
तुम्हारा नि:श्वासों के द्वारा, | तुम्हारा नि:श्वासों के द्वारा, | ||
कोकिल बोलो तो! | कोकिल बोलो तो! | ||
− | और सवेरे हो जायेगा | + | और सवेरे हो जायेगा, |
उलट-पुलट जग सारा, | उलट-पुलट जग सारा, | ||
− | कोकिल बोलो तो ! | + | कोकिल बोलो तो! |
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Latest revision as of 10:23, 9 February 2021
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