दीपक पर पतंग -महादेवी वर्मा: Difference between revisions

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जो तू जलने को पागल हो
जो तू जलने को पागल हो
आँसू का जल स्नेह बनेगा
आँसू का जल स्नेह बनेगा
धूमहीन निस्पंद जगत में
धूमहीन निस्पंद जगत् में
जल-बुझ, यह क्रंदन करता क्यों
जल-बुझ, यह क्रंदन करता क्यों
दीपक में पतंग जलता क्यों? </poem>
दीपक में पतंग जलता क्यों? </poem>

Latest revision as of 11:44, 9 February 2021

दीपक पर पतंग -महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

दीपक में पतंग जलता क्यों?
प्रिय की आभा में जीता फिर
दूरी का अभिनय करता क्यों
पागल रे पतंग जलता क्यों

उजियाला जिसका दीपक है
मुझमें भी है वह चिनगारी
अपनी ज्वाला देख अन्य की
ज्वाला पर इतनी ममता क्यों

गिरता कब दीपक दीपक में
तारक में तारक कब घुलता
तेरा ही उन्माद शिखा में
जलता है फिर आकुलता क्यों

पाता जड़ जीवन जीवन से
तम दिन में मिल दिन हो जाता
पर जीवन के आभा के कण
एक सदा भ्रम मे फिरता क्यों

जो तू जलने को पागल हो
आँसू का जल स्नेह बनेगा
धूमहीन निस्पंद जगत् में
जल-बुझ, यह क्रंदन करता क्यों
दीपक में पतंग जलता क्यों?

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