मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा: Difference between revisions

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अलि कुहरा सा नभ विश्व
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मिटे बुद्‌बुद-जल सा;
मिटे बुद्‌बुद-जल सा;
यह दुख का राज्य अनन्त
यह दु:ख का राज्य अनन्त
रहेगा निश्चल सा;
रहेगा निश्चल सा;
हूँ प्रिय की अमर सुहागिनि
हूँ प्रिय की अमर सुहागिनि

Latest revision as of 11:53, 9 February 2021

मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

पथ देख बिता दी रैन
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

तम ने धोया नभ-पंथ
सुवासित हिमजल से;
सूने आँगन में दीप
जला दिये झिल-मिल से;
आ प्रात: बुझा गया कौन
अपरिचित, जानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

धर कनक-थाल में मेघ
सुनहला पाटल सा,
कर बालारूण का कलश
विहग-रव मंगल सा,
आया प्रिय-पथ से प्रात:-
सुनायी कहानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

नव इन्द्रधनुष सा चीर
महावर अंजन ले,
अलि-गुंजित मीलित पंकज-
-नूपुर रूनझुन ले,
फिर आयी मनाने साँझ
मैं बेसुध मानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

इन श्वासों का इतिहास
आँकते युग बीते;
रोमों में भर भर पुलक
लौटते पल रीते;
यह ढुलक रही है याद
नयन से पानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

अलि कुहरा सा नभ विश्व
मिटे बुद्‌बुद-जल सा;
यह दु:ख का राज्य अनन्त
रहेगा निश्चल सा;
हूँ प्रिय की अमर सुहागिनि
पथ की निशानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

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