नाथ तुम जानतहो सब घटकी -मीरां: Difference between revisions
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
प्रीति चौधरी (talk | contribs) ('{{पुनरीक्षण}} {| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "४" to "4") |
||
(3 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 34: | Line 34: | ||
नाथ तुम जानतहो सब घटकी। मीरा भक्ति करे प्रगटकी॥ध्रु०॥ | नाथ तुम जानतहो सब घटकी। मीरा भक्ति करे प्रगटकी॥ध्रु०॥ | ||
ध्यान धरी प्रभु मीरा संभारे पूजा करे अट पटकी। | ध्यान धरी प्रभु मीरा संभारे पूजा करे अट पटकी। | ||
शालिग्रामकूं चंदन चढत है भाल तिलक बिच | शालिग्रामकूं चंदन चढत है भाल तिलक बिच बिंदकी॥1॥ | ||
राम मंदिरमें मीराबाई नाचे ताल बजावे चपटी। | राम मंदिरमें मीराबाई नाचे ताल बजावे चपटी। | ||
पाऊमें नेपुर रुमझुम बाजे। लाज संभार | पाऊमें नेपुर रुमझुम बाजे। लाज संभार गुंगटकी॥2॥ | ||
झेर कटोरा राणाजिये भेज्या संत संगत मीरा अटकी। | झेर कटोरा राणाजिये भेज्या संत संगत मीरा अटकी। | ||
ले चरणामृत मिराये पिधुं होगइ अमृत | ले चरणामृत मिराये पिधुं होगइ अमृत बटकी॥3॥ | ||
सुरत डोरीपर मीरा नाचे शिरपें घडा उपर मटकी। | सुरत डोरीपर मीरा नाचे शिरपें घडा उपर मटकी। | ||
मीराके प्रभु गिरिधर नागर सुरति लगी जै | मीराके प्रभु गिरिधर नागर सुरति लगी जै श्रीनटकी॥4॥ | ||
</poem> | </poem> |
Latest revision as of 10:44, 1 November 2014
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
|
नाथ तुम जानतहो सब घटकी। मीरा भक्ति करे प्रगटकी॥ध्रु०॥ |