अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - " सन " to " सन् ")
m (Text replace - "Blankimage.gif" to "Blankimage.png")
 
(One intermediate revision by the same user not shown)
Line 4: Line 4:
|
|
{{सूचना बक्सा कविता
{{सूचना बक्सा कविता
|चित्र=Blankimage.gif
|चित्र=Blankimage.png
|चित्र का नाम=मलूकदास
|चित्र का नाम=मलूकदास
|कवि =[[मलूकदास]]  
|कवि =[[मलूकदास]]  
Line 35: Line 35:
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक गुलाम॥4॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥
</poem>
</poem>
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}

Latest revision as of 14:47, 25 January 2013

चित्र:Icon-edit.gif इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास
कवि मलूकदास
जन्म 1574 सन् (1631 संवत)
मृत्यु 1682 सन् (1739 संवत)
मुख्य रचनाएँ रत्नखान, ज्ञानबोध, भक्ति विवेक
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
मलूकदास की रचनाएँ

अब तेरी सरन आयो राम॥1॥
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख