समर शेष है -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , | ||
किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? | किसने कहा, युद्ध की बेला चली गयी, शांति से बोलो? | ||
किसने कहा, और मत बेधो | किसने कहा, और मत बेधो हृदय वह्रि के शर से, | ||
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से? | ||
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समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो | समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो | ||
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो | शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो | ||
पथरीली ऊँची | पथरीली ऊँची ज़मीन है? तो उसको तोडेंगे | ||
समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे | समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे | ||
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ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो , |
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