गरब न कीजै बावरे -मलूकदास: Difference between revisions
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गरब न कीजै बावरे, हरि गरब प्रहारी। | गरब न कीजै बावरे, हरि गरब प्रहारी। | ||
गरबहितें रावन गया, पाया | गरबहितें रावन गया, पाया दु:ख भारी॥1॥ | ||
जरन खुदी रघुनाथके, मन नाहिं सुहाती। | जरन खुदी रघुनाथके, मन नाहिं सुहाती। | ||
जाके जिय अभिमान है, ताकि तोरत छाती॥2॥ | जाके जिय अभिमान है, ताकि तोरत छाती॥2॥ |
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गरब न कीजै बावरे, हरि गरब प्रहारी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |