शोक की संतान -रामधारी सिंह दिनकर: Difference between revisions
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हम जीने की इच्छा को तोल रहे हैं। | हम जीने की इच्छा को तोल रहे हैं। | ||
आयु | आयु तेज़ीसे भागी जाती है | ||
और हम अंधेरे में | और हम अंधेरे में | ||
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और फूलों की गुपचुप आवाज़, | और फूलों की गुपचुप आवाज़, | ||
ये | ये ग़रीब की आह से बनते हैं। | ||
Latest revision as of 08:20, 10 February 2021
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हृदय छोटा हो, |
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